कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी लंदन की एंस्ट्राजेनेका के बयान के बाद भारत में भी विवादों का पिटारा खुल गया है और सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज हो गई है कि कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले खतरे की जद में है। जबकि वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड लेने वाले पूरी तरह से सुरक्षित हैं और उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।
आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लेने वालों को आश्वस्त करते हुए कहा, इसका साइड इफेक्ट वैक्सीन लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। जबकि भारत में वैक्सीन दो-ढाई साल पहले लग चुकी है। ध्यान देने की बात है कि कोविशील्ड वैक्सीन का विकसित करने वाली एस्ट्राजेनेका ने लंदन की अदालत के सामने स्वीकार किया है कि इसके लगाने वालों को दुर्लभ मामलों में खून का थक्का जमने का खतरा (थ्रोम्बोसिसि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम - टीटीएस) का खतरा हो सकता है।
कोविड के बाद ऐसे कुछ मामले आए थे जिसमें युवाओं की भी दिल की धड़कने रुक रही थीं। इसे कोविड से जोड़ा जा रहा था। कोरोना काल में आईसीएमआर के महानिदेशक के रूप में वैक्सीन के विकास और उसके दुष्प्रभावों की जांच की निगरानी में करीब से जुड़े डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि कोविशील्ड लेने के बाद टीटीएस या किसी अन्य तरह का साइड इफेक्ट का खतरा अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है, वो भी दुर्लभ मामलों में ही।