बिनसर अभयारण्य क्षेत्र के गैराड़ जंगल में आग बुझाने के दौरान एक नाबालिग की मौत हो गई। घटना में वन विभाग की लापरवाही सामने आई है।
वहीं नाबालिग की मौत के बाद उम्र को लेकर विवाद शुरू हो गया है। विवाद शुरू होने के बाद वन विभाग के अधिकारी नाबालिग को अपना कर्मचारी होने से मना कर रहे हैं। जबकि बीते दिन घटना के बाद विभागीय अधिकारियों ने आग में झुलसने से एक फायर वाचर की मौत की पुष्टि की थी।
बिनसर अभयारण्य क्षेत्र के गैराड़ जंगल में आग बुझाने के दौरान वन विभाग के चार कर्मचारियों की मौत हो गई थी। मृतकों में से एक करन आर्या निवासी भेटूली अयारपानी नाबालिग है। उसके आधार कार्ड में जन्मतिथि 20 सितंबर 2007 दर्ज है। उम्र के अनुसार अभी उसे 17 वर्ष भी पूरे नहीं हुए हैं। जबकि विभागीय अधिकारी करन आर्या की उम्र 21 साल बता रहे हैं।
करन की उम्र को लेकर विवाद
अब मृतक करन की उम्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय लोगों ने इसे विभाग की लापरवाही बताया है। वहीं मृतक की उम्र को लेकर स्थानीय लोग जांच की मांग उठा रहे हैं। विवाद बढ़ता देख अब विभागीय अधिकारी करन को अपना कर्मचारी होने से ही मना कर रह हैं। ऐसे में अब सवाल खड़ा हो गया है कि यदि करन फायर वाचर नहीं था, तो आग बुझाने कैसे पहुंचा।
बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2012 के तहत 14 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को किसी भी खतरनाक व्यवसाय में काम पर नहीं रखा जा सकता। वन महकमा पूरे मामले की जांच की बात कह रहा है।
इधर, मृतक करन के चचेरे भाई हिमांशु ने बताया कि करन फायर सीजन शुरू होने के बाद लगातार आग बुझाने पहुंच रहा था। उन्होंने बताया कि मृतक करन के पिता घर में ही खेती बाड़ी का काम करते हैं। वन रेंजर मनोज सनवाल ने बताया कि करन की फायर वाचर के रूप में तैनाती नहीं की गई थी।