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post authorAdmin 28 Jun 2024

उत्तराखंड की अधिकांश जेलों में क्षमता से तीन गुना कैदी,इंतजार में सिस्टम फेल.

बेल…बरी या मिलेगी सजा ! इस सवाल के इंतजार में उत्तराखंड की जेलों में कैदियों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। इस कारण देवभूमि की अधिकांश जेलों में आज क्षमता से तीन गुना ज्यादा कैदी बंद हैं। एक आरटीआई के जरिए 11 जेलों से जो आंकड़े मिले हैं, उनमें नौ जेलों से ऐसा ही चौंकाने वाला हाल सामने आया है।

सबसे बुरा हाल तो हल्द्वानी और देहरादून जेलों का है, जहां कैदियों की क्षमता तो क्रमश: 635 और 580 है, लेकिन वहां दोगुने से भी ज्यादा कैदी ठूंसे गए हैं। मौजूदा समय में हल्द्वानी जेल में 1450 और देहरादून जेल में 1276 बंदी हैं।

विचाराधीन कैदियों ने बिगाड़ा सिस्टम

जेलों से मिले आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि जेलों के ठसाठस भरने के पीछे की मुख्य वजह विचाराधीन कैदी हैं। दूसरी तरह से समझें तो जैसे-जैसे अपराध बढ़ रहे हैं या कहें अपराधियों के हौसले, वैसे-वैसे अपराधों में शामिल होने वाले आरोपियों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिनके मामलों में या तो सुनवाई (ट्रायल) विचाराधीन है या फिर आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल होने का इंतजार है। इसलिए इन्हें कानून की भाषा में विचाराधीन कैदी कहा जाता है।

जेलें फुल हो जाएं मगर समाज का दम नहीं फूलना चाहिए

इनमें अधिकांश जमानत मिलने के इंतजार में जेल में बंद हैं। यह अलग बात है कि जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मानते हैं कि भले जेलों का दम एक बार को फूल जाए, पर अपराध में लिप्त आरोपियों के आसानी से बाहर आने से समाज का दम नहीं फूलना चाहिए। इसलिए ज्यादातर मामलों में पुलिस उन्हें जमानत दिए जाने का विरोध करती है। अदालतों में पुलिस का यही तर्क रहता है कि विचाराधीन कैदी को यदि जमानत दी गई तो वह साक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है या फिर अपराध में लिप्त हो सकता है।