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post authorAdmin 03 Jun 2024

पिथौरागढ़ की हिलजात्रा को मिलेगी वैश्विक पहचान,यूनेस्को की धरोहर में होगी शामिल.

देश और प्रदेश में विशिष्ट पहचान रखने वाली पिथौरागढ़ की हिलजात्रा को यूनेस्को की धरोहर में शामिल कराने की कोशिश शुरू हुई है। संस्कृति विभाग अल्मोड़ा ने धार्मिक संस्कृति के साथ ही मुखौटा संस्कृति को सहेजे कुमौड़, सतगढ़, देवलथल सहित अन्य जगहों पर आयोजित होने वाली समृद्ध हिलजात्रा को संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन यूनेस्को की धरोहर में शामिल का दायित्व संभाला है, इसके तहत संस्कृति विभाग एक डाक्यूमेंट्री को तैयार करेगा। इस कार्य के लिए जिला योजना से बजट मिलेगा।

हर प्रयास अगर सफल हुए तो कुमौड़ हिलजात्रा की विशिष्ट पहचान भगवान शिव के गण लखिया भूत, सतगढ़ गांव की महाकाली, हिरन चीतल और बैलों की जोड़ी के साथ ही हिलजात्रा के दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ आयोजित होने वाले झोड़ा, चांचरी, खेल, ठुलखेल को पूरे विश्व में अनूठी पहचान मिलेगी। वहीं इस लोक संस्कृति और परंपराओं को सहेजने की योजना को बल मिलेगा।

हिलजात्रा के इतिहास को पता करेंगे, प्रस्ताव तैयार करेंगे
संस्कृति विभाग की तरफ से जीबी पंत राजकीय संग्रहालय ने इस योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत सबसे पहले पिथौरागढ़ के प्रमुख जगहों पर आयोजित होने वाली हिलजात्रा के इतिहास को खंगाला जाएगा। फिर इसके पीछे धार्मिक, पारंपरिक, सांस्कृतिक, सामाजिक पहलुओं को शामिल करते हुए डाक्यूमेंट्री तैयार होगी और इन अनूठी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को यूनेस्को की धरोहर में शामिल करने का प्रस्ताव तैयार होगा। जीबी पंत राजकीय संग्रहालय, अल्मोड़ा के निदेशक डॉ. चंद्र सिंह चौहान कहते हैं कि प्रस्ताव को तैयार कर पहले संगीत नाट्य अकादमी दिल्ली को जाएगा, फिर वहां से संस्कृति मंत्रालय जाएगा। संस्कृति मंत्रालय प्रस्ताव का परीक्षण करेगा। फिर मंत्रालय स्तर से यूनेस्को की धरोहर में शामिल करने की आगे की कार्रवाई होगी।