उत्तराखंड में अब शिक्षकों की लापरवाही पर लगाम कसने की तैयारी है। शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के लिए नई तबादला नियमावली तैयार की है, जिसमें बोर्ड परीक्षा परिणामों को आधार बनाकर कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी शिक्षक का लगातार दो वर्षों तक 10वीं या 12वीं बोर्ड परिणाम खराब रहता है, तो उसे अनिवार्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
नई नियमावली को जल्द ही राज्य कैबिनेट में मंजूरी के लिए लाया जाएगा। इसके तहत, राज्य को पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में बांटा गया है और शिक्षकों की तबादला प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी। इसके लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है।
सेवा अंकों के आधार पर शिक्षक तबादले की पात्रता सूची में शामिल होंगे। शिक्षकों को अपने पूरे सेवाकाल में एक बार संवर्ग परिवर्तन करने की अनुमति दी गई है, बशर्ते उन्होंने तीन साल की सेवा पूरी कर ली हो।
जिलों का वर्गीकरण भी किया गया है—पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली और बागेश्वर को उच्च पर्वतीय जिला माना गया है, जबकि टिहरी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, चंपावत, नैनीताल, पौड़ी और देहरादून के पर्वतीय क्षेत्र निम्न श्रेणी में आएंगे।
हर शिक्षक को मैदानी और पर्वतीय क्षेत्र में न्यूनतम सेवा अवधि पूरी करनी होगी। दोनों क्षेत्रों में अधिकतम पांच साल तक की सेवा तय की गई है।
अविवाहित महिला शिक्षकों को विवाह के बाद एक बार पति के कार्यस्थल या गृह जिले में तबादला करने की छूट दी जाएगी। एससीईआरटी, सीमैट और अन्य प्रशिक्षण संस्थानों के शिक्षक जब तक अलग कैडर नहीं बनता, तब तक इसी नियमावली के तहत तबादले के पात्र होंगे।
यह नियमावली 1 जनवरी से लागू होगी और तबादला आदेश 31 मार्च तक जारी किए जाएंगे। यदि इस दौरान कोई व्यवहारिक समस्या सामने आती है, तो सरकार या शिक्षा विभाग विशेष निर्णय ले सकेगा।
यह कदम शिक्षकों की जवाबदेही तय करने और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।