उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित धराली गांव में मंगलवार देर रात बादल फटने की घटना ने तबाही मचा दी। अचानक हुई इस आपदा ने पूरे गांव को संकट में डाल दिया है। कई घर मलबे में दब गए, लोग लापता हैं और दर्जनों परिवारों का सब कुछ उजड़ गया। भारी बारिश और बाढ़ के कारण गांव के रास्ते टूट गए हैं, बिजली और संचार व्यवस्था ठप हो गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और मौके पर पहुंचकर हालात का जायज़ा लिया। उन्होंने शोकाकुल परिवारों से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की और भरोसा दिलाया कि सरकार इस कठिन समय में हर कदम पर उनके साथ है। मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने कई परिवारों को अपने घर-परिवार गंवाते देखा है। उनकी पीड़ा हमारी पीड़ा है। राज्य सरकार राहत और पुनर्वास में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।”
धराली और आसपास के क्षेत्रों में सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी और प्रशासन की टीमें युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं। ‘बीच गांव’ में फंसे करीब 200 लोगों को निकालने के लिए वैकल्पिक रास्तों और अस्थायी पुलों का निर्माण किया जा रहा है। लगातार हो रही बारिश के बीच टीमें जोखिम उठाकर राहत कार्य कर रही हैं।
सरकार ने देहरादून में एक विशेष कंट्रोल रूम स्थापित किया है, जो 24 घंटे राहत कार्यों की निगरानी कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस स्थिति की जानकारी दी गई है, और केंद्र से हरसंभव सहयोग का आश्वासन मिला है।
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तरकाशी जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन और अनियोजित विकास के चलते आपदाओं की आवृत्ति बढ़ गई है। अब ज़रूरत दीर्घकालिक नीति और ठोस समाधान की है, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों को रोका जा सके।