संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में अगले हफ्ते वैश्विक खाद्य सुरक्षा व संकट के हालात पर चर्चा करने के लिए मंत्रिस्तरीय बैठक होने वाली है। इसमें यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते दुनिया के कई देशों के सामने पैदा हुए खाद्यान्न संकट को दूर करने में भारत की पेशकश पर भी विचार किया जाएगा। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की ओर से 18 मई को बुलाई गई इस बैठक में भारत भी हिस्सा लेगा। बैठक में मुख्य तौर पर इस बात पर विचार होगा कि एशिया और अफ्रीका के गरीब देशों को भावी खाद्यान्न संकट से कैसे बचाया जाए।उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इस बैठक के साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी खाद्य संकट पर एक बहस होनी है। यह संकट मुख्य तौर पर यूक्रेन से गेहूं आपूर्ति के प्रभावित होने और रूस पर लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से पैदा हुआ है।
भारत पिछले एक महीने के दौरान कई अवसरों पर यह पेशकश कर चुका है कि वह इस भावी खाद्यान्न संकट से दुनिया को बचाने में हरसंभव मदद करने को तैयार है।सबसे पहली पेशकश पीएम नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ हुई वर्चुअल बैठक में की थी। इस बारे में दोनों नेताओं के बीच कुछ मुद्दों पर चर्चा भी हुई थी। इसके बाद दोनों देशों के रक्षा व विदेश मंत्रियों की संयुक्त बैठक में भी यह मुद्दा उठा था। बाद में नई दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलाग में भी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऐलान किया था कि भारत दुनिया को खाद्यान्न संकट से बचाने को तैयार है लेकिन इसके लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) को अपने नियम बदलने होंगे।भारत की इस पेशकश को लेकर सरकार के भीतर भी चर्चा हो रही है। यह आकलन किया जा रहा है कि भारत कुल कितना अनाज वैश्विक बाजार में भेज सकता है। कृषि क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक भारत अभी तीन से चार करोड़ टन अनाज वैश्विक बाजार में उपलब्ध कराने की क्षमता रखता है।